Thursday, March 17, 2011

America, Sonia, Congress and hanging of Afzal Guru

अमेरिकi, सोनिया,  कांग्रेस और  अफजल गुरु
अफजल को सोनिया ने बचाकर रखा है : विकिलीक्स
विकिलिक्स के हवाले से आई ख़बरों के अनुसार अफजल गुरु के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति कलाम और सोनिया गाँधी आमने-सामने थे |दैनिक भास्कर में छपी खबर में यह कहा गया है कि 20 अक्टूबर, 2006 को अमेरिकी दूतावास के राजनयिक जेफरी पैट ने गुप्त दस्तावेज (82638) में यह भी कहा गया था, ‘अगर राष्ट्रपति कलाम को लगता है कि सोनिया उन्हें दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनने देंगी तो वे इस मुद्दे (अफजल गुरु) के मुद्दे को सही समय पर उछाल भी सकते हैं।’दस्तावेज में अफजल गुरु को लेकर 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के चुनावी असमंजस की बात भी बताई गई है |
बहरहाल , भ्रष्टाचार से घिरी ‘सोनिया कांग्रेस ‘ का असली चरित्र जिसे सब जानते हैं उस पर जमी धुल विकिलीक्स ने साफ़ कर दी है | मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए कलाम की मर्जी के खिलाफ भी मामले को लटकाए रखने में सोनिया गाँधी की अहम भूमिका है | साल २०११ सोनिया कांग्रेस के हित में नहीं नज़र आ रहा है | बाबा रामदेव , अन्ना हजारे ,किरण बेदी और अरविन्द केजरीवाल जैसे सामाजिक व्यक्तित्वों के खुल कर सामने आने से सोनिया कांग्रेस में मुश्किल और भी बढ़ गयी है | अब जरुरत है विपक्षी दलों को अधिक से अधिक आक्रामक रुख अख्तियार करने की ताकि इस पाप की सरकार से मुक्ति मिल सके |
अफजल गुरु की फांसी को लेकर आमने-सामने आ गए थे कलाम और सोनिया
2001 में संसद भवन पर हमला करने के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु की फांसी के मुद्दे ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गए थे। गौरतलब है कि कलाम को 2004 तक देश की सत्ता पर काबिज रही एनडीए ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था, जिसका बाद में कांग्रेस ने भी समर्थन किया था। 2006 में नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास की तरफ से वॉशिंगटन भेजे गए गोपनीय दस्तावेज में इस बात का जिक्र है। यह खुलासा खोजी वेबसाइट विकीलीक्स ने किया है। खबरों के हवाले से इस दस्तावेज में कहा गया है कि सोनिया गांधी की ही पार्टी (कांग्रेस) के नेता और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने अफजल गुरु को माफ किए जाने की सिफारिश की थी। कलाम और सोनिया के बीच अफजल गुरु के मामले में मतभेद की एक बड़ी वजह यही थी।
20 अक्टूबर, 2006 को अमेरिकी दूतावास के राजनयिक जेफरी पैट ने गुप्त दस्तावेज (82638) में यह भी कहा गया था, 'अगर राष्ट्रपति कलाम को लगता है कि सोनिया उन्हें दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनने देंगी तो वे इस मुद्दे (अफजल गुरु) के मुद्दे को सही समय पर उछाल भी सकते हैं।'दस्तावेज में अफजल गुरु को लेकर 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के चुनावी असमंजस की बात भी बताई गई है। दस्तावेज में पार्टी के ही एक नेता (नाम नहीं बताया गया है) के हवाले से कहा गया है कि अगर यूपीए अफजल गुरु को फांसी की सज़ा को माफ करती है तो बीजेपी नेता कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कमजोर होने का आरोप लगा सकते हैं। वहीं, अगर यूपीए अफजल गुरु को फांसी की सज़ा होने देती है तो इस बात का डर है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम वोट बैंक जो राष्ट्रीय स्तर पर परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहा है, छूट जाएगा।
अफजल गुरु को संसद हमला मामले में दोषी ठहराते हुए 18 दिसंबर 2002 को एक स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अक्तूबर 2003 को दिए फैसले में इस सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जो 4 अगस्त 2005 को नामंजूर हो गई। सेशन जज ने तिहाड़ जेल में उसकी फांसी की तारीख (20 अक्तूबर 2006)भी तय कर दी थी। मगर, उसके बाद उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर दी जहां से इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा गया। मंत्रालय ने अभी तक याचिका अपने पास ही रखी है।
अफजल ने 3 अक्तूबर 2006 को याचिका दायर की है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने हाल ही में कहा कि याचिकाओं को राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए एक नई प्रक्रिया अपनाई गई है। इसके तहत सजा की तारीख व गृह मंत्रालय में याचिका पहुंचने के दिन के आधार पर इन्हें राष्ट्रपति को भेजा जाता है। चिदंबरम ने बताया कि अप्रैल 1998 से अब तक राष्ट्रपति को 28 याचिकाएं भेजी गई हैं।इनमें केवल दो पर फैसला हुआ है।
'कसाब को मारने की सुपारी'
अजमल कसाब को पाकिस्‍तान में बैठे उसके ‘आका’ उसे मरवाना चाहते थे। मुंबई हमले में कसाब जिंदा पकड़ा गया था और उसके कबूलनामे से पाकिस्‍तान सरकार को खतरा था। इसीलिए कसाब को मरवाने के लिए बाकायदा सुपारी भी दी गई थी। इस बात की जानकारी गृहमंत्री पी. चिदंबरम को भी थी। उन्होंने यह बात एफबीआई के डायरेक्टर रॉबर्ट मुलर से कही थी। मुलर को बताया कि भारत के पास पक्की खबर है कि पाकिस्तान कसाब को मरवाना चाहता है।

Sonia protected Parliament attacker Afzal Guru to be hanged early. US Govt knew the fact but..... 
The issue of executing Mohammed Afzal Guru, sentenced to death in the 2001 Parliament attack case, “may bring to light longstanding animosity between President [A.P.J. Abdul] Kalam and Sonia Gandhi,” states a cable sent by the United States Embassy in New Delhi to Washington in 2006. It added that this was so “especially as a member of her own party, [Jammu and Kashmir] Chief Minister [Ghulam Nabi] Azad, has argued on Afzal's behalf” — a possible reference to news reports that Mr. Azad had pressed for clemency to be granted to the convict.
Sent on October 20, 2006 by Geoffrey Pyatt, U.S. Embassy Deputy Chief of Mission, the cable (82638: confidential) goes on to conjecture mischievously that “if President Kalam believes Sonia won't grant him a second term next summer, he may choose to push the issue into the forefront again at a crucial moment.”
Accessed by The Hindu through WikiLeaks, the cable highlights the “significant electoral dilemma” the Afzal Guru issue posed for the Congress, just ahead of the “crucial” elections to the Uttar Pradesh Assembly in early-2007. It quotes unnamed party sources as telling the Embassy that if “the UPA grants a pardon for Afzal or stalls his execution, the Congress Party will be portrayed by BJP leaders as weak on national security. If, however, the President lets him hang,some fear Congress may lose support from their traditional Muslim vote block on a national scale.”
The cable records the difference in the manner in which Kashmiri Muslims and the rest of the Indian public reacted to Afzal Guru's possible execution. It says that for Srinagar's Muslim population, it “highlights concerns about the fairness of the Indian justice system and failures in India's longstanding program to demobilize and reintegrate surrendered militants [such as Afzal Guru]”… For much of the public, commuting his sentence would demonstrate India remains weak in the face of attacks emanating from Pakistan.”
KASHMIR FACTOR
It quotes Jammu and Kashmir Liberation Front Chairman Yasin Malik as telling a Consulate political officer that many “Kashmiri Muslims feel sympathy for Afzal” and that his only crime was “buying a car.” (Afzal Guru was not a member of the team that attacked Parliament but had bought the Ambassador car which breached Parliament's first line of security.) “How does this warrant a death sentence?” Mr. Malik is said to have asked. However, Mr. Malik's comments were at variance with many moderate Kashmiri separatist leaders in the Valley. One Hurriyat leader told the Consulate's political officer that his faction was “remaining as quiet as possible because they do not feel strongly that Indian should pardon Afzal.”
He said “moderate members of the Hurriyat are unable to express this view publicly, given the mood in the Valley and the threat from terrorists. He claimed that the controversy over Afzal Guru had led to a loss of support for moderates such as himself among Kashmiri Muslims, “especially [among] a small but growing cadre of Kashmiri youth who are being educated in extremist madarassas springing up across Srinagar with Pakistani Jamaat-i-Islami party funding.”
The cable suggests that the “easiest option for the Congress may be to delay Afzal's execution for years to consider his appeal for clemency.” This is exactly what has happened. In February 2011, Home Minister P. Chidambaram clarified in Parliament that Afzal Guru's mercy petition, filed on October 3, 2006, had not yet been forwarded to President Pratibha Patil.
Source: The Hindu.

Inputs : J P Singh, Nawab Dhankar, The Hindu and Wikileaks. 

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